अगर आप मछली खाते है तो मांगुर मछली के बारे में जरूर जानते होंगे।
लेकिन क्या आपको पता है के , मांगुर मछली को सरकार ने बैन कर रखा है , नहीं पता तो आइये जानते है।
सबसे पहले मांगुर मछली को 1998 में केरल में बैन किया गया था , उसके बाद सन 2000 में पुरे भारत में बैन किया गया
बैन लगाने की वजह यह है की , मांगुर मछली मांसाहारी है ,यहां तक की यह इंसानों की मांस भी खा जाता है
यह सेहत के लिए नुकशानदायक है , इसी वजह से मतस्य विभाग ने इसे पालने वालो को इसे नष्ट करने का निर्देश दिया है।
और मछलियों की तरह इसे जीवित रहने के लिए ज्यादा ऑक्सीज़न की जरुरत नहीं पड़ती, तभी आप देखे होंगे ये किसी भी गन्दी पानी में तेज़ी से बढ़ जाती है।
जिस तालाब में मांगुर मछली रहती है , वहाँ कोई दूसरी मछली नहीं रह सकती क्यों की मांगुर मछली दूसरे मछली को खा जाती है।
आपको बता दे की यह मछली थाईलैंड में विकसित की गयी है, इसका वैज्ञानिक नाम क्लेरिअस गेरिपाइन्स है, जिसे वर्किंग कैट फिश भी कहा जाता है
यह मांगुर मछली दो से तीन महीने में ही तीन से चार किलो का हो जाता है।
कम देख रेख और ज्यादा मुनाफा देने वाली इस मछली को आज भी चोरी चुपके बेचा जाता है
और लोग इससे होने वाली बीमारी से नजान आज भी इसका सेवन कर रहे है। आपको बता दे की इस मछली के सेवन से कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है