EVM MACHINE क्या है। EVM की पूरी जानकारी।

दोस्तों, आज जिस टॉपिक पर हम बात करने वाले है वो है EVM MACHINE, जिससे हम और आप भली भांति वाकिफ है।  तो आज के इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे की – EVM MACHINE क्या है , EVM MACHINE का अविष्कार किसने किया , evm ka full form , भारत में EVM की इस्तेमाल करने की इजाजत कब मिली , EVM का इतिहास ,  EVM का निर्माण भारत में कहाँ कहाँ होता है , और अंत में जानेंगे की किन किन देशों ने EVM का इस्तेमाल बंद कर दिया। तो चलिए नज़र डालते है।

EVM MACHINE क्या है। EVM की पूरी जानकारी।
फोटो-digitalbaalmela.com

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ईवीएम मशीन क्या है? (What is EVM in Hindi)

EVM एक मशीन है इसके द्वारा आप अपने पसंदीदा उम्मीदवार को एक बटन दबा कर वोट कर सकते है , इस मशीन में अलग अलग प्रतिनिधियों के अलग अलग बटन होते है जिसके सामने उनका चुनाव चिन्ह होता है ,

EVM  के दो भाग होते है एक control unit और ballot unit ( नियंत्रण इकाई और मतदान इकाई ) बैलट यूनिट में मतदाता वोट डालता है जबकि कण्ट्रोल यूनिट मतदान अफसर के पास रहता है। एक ईवीएम में दो भाग होते हैं- नियंत्रण इकाई और मतदान इकाई।

दोनों भाग एक पांच मीटर लंबे केबल तार से जुड़े होते हैं। नियंत्रण इकाई, “मतदान अधिकारी” के पास रहता है जबकि मतदान इकाई को मतदान कक्ष के अंदर रखा जाता है।

कोई मतदाता अगर एक ही बटन दोबारा दबाने की कोशिश करना है तो ये नहीं हो सकता क्यों की इसमें एक बार बटन दबाने के बाद मशीन लॉक हो जाती है , जिसका कट्रोल मतदान अफसर के पास होता है,

evm ka full form | evm full form in english

ईवीएम फुल फॉर्म – Electronic Voting Machine होता है।

EVM MACHINE का अविष्कार किसने किया? एवं इतिहास। 

पहले भारतीय EVM का अविष्कार तमिलनाडु के एक इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर, “एम बी हनीफा” के द्वारा 1980 में किया गया था।  जिसने 15 अक्टूबर 1980 को EVM को रजिस्टर करवाया था।

भारत में पहली बार EVM MACHINE का उपयोग कब किया गया। When Was Evm Used For The First Time.

ईवीएम का इस्तेमाल 1982 में पहली  70-पारुर विधानसभा केरल क्षेत्र में किया गया था जबकि 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद से भारत में प्रत्येक लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव में मतदान की प्रक्रिया पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन द्वारा ही संपन्न होती है. 2014 के लोकसभा चुनाव में 543 में से 8 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता-सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रायल (वीवीपीएटी) प्रणाली वाले ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था.

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भारत में EVM MACHINE इस्तेमाल करने की इजाजत 1988 में मिली।

सन् 1988 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन कर नई धारा 61A  जोड़ी गई. इसके जरिए चुनाव आयोग को मतदान में ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया.

चुनाव आयोग ने सन् 1989 में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की साझेदारी में ईवीएम के मॉडल तैयार करने का ऑर्डर दिया.  1998 में मध्यप्रदेश, राजस्थान और दिल्ली को मिलाकर कुल 16 विधानसभा सीटों पर ईवीएम का इस्तेमाल किया गया. पहली बार पूरी तरह ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल सन् 2004 के आम चुनावों में हुआ था.

EVM का निर्माण भारत में कहाँ कहाँ होता है?

भारत में EVM का निर्माण “इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बंगलौर में होता है। EVM में 6 वोल्ट का बैटरी लगी होती है जिससे जिस जगह पर बिजली न हो वहा भी मतदान करवाना संभव होता है।

EVM MACHINE मशीन की छमता कितनी होती है।

EVM मशीन में 64 उम्मीदवार का नाम अंकित किया जा सकता है। जबकि टोटल वोट की बात करे तो इसमें 3840 वोट डाले जा सकते है। evm मशीन की कीमत – एक एम 2 ईवीएम की कीमत 8,670 रुपये थी। वहीं, एक एम3 ईवीएम की कीमत लगभग 17,000 रुपये पड़ती है।

 (VVPAT) वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल क्या है?

VVPT, evm से जुड़ा हुवा एक मशीन होता है, जिससे मतदाता को ये पता चलता है के उसका वोट दिए गए उमीदवार को गया है या नहीं। जब कोई वोटर वोट डालता है तो उसके बटन दबाते ही vvpat में एक पर्ची दिखती है जिसमे उसके पसंद के उम्मीदवार के नाम और चुनाव चिन्ह दिखाई देता है , ये 7 सेकंड के लिए दीखता है उसके बाद खुद कट कर  vvpat के डब्बे में गिर जाता है।

ये VVPAT तब लाया गया जब EVM के सुरक्षा के लेके सवाल उठने लगे तब इलेक्शन कमीशन ने एक कमिटी बनाया जिसका मुख्या उदेस्य था EVM पेपर ट्रायल मशीन को लिंक करना जिससे वोटर को एक स्लिप

EVM MACHINE मशीन का उपयोग कैसे करे?

अगर आप पहली बार अपने मत का उपयोग यानि पहली बार मतदान करने जा रहे है तो आपके मन में भी सवाल होगा के आखिर हम इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में वोट कैसे डाल सकते है।

तो सबसे पहले आप अपना पहचान पत्र या आधार कार्ड ले कर अपने मतदान अस्थल booth पर जाये। वहां लाइन में लगने के बाद अपनी बारी का इंतज़ार करे।  अंदर जाते ही पोलिंग एजेंट आपके पहचान को वेरीफाई करेंगे उसके बाद आपके नाखून में स्याही लगाया जायेगा स्याही इस लिए लगाया जाता है के आप दुबारा वोट डालने न आजाओ ये जल्दी नहीं मिट ता है।

उसके बाद आप मशीन के पास जायेंगे मशीन में आपको अपने पसंदीदा उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिन्ह दिखेगा , जिसके सामने एक नीला बटन दिया गया है जिसे आपको दबाना है। बटन दबाते ही आपके सामने एक डब्बा नुमा मशीन ( VVPAT ) में एक लाइट जल जाएगी जिसमे एक पर्ची दिखेगा जो 7 सेकंड में कट कर डब्बे में गिर जाती है।

जिससे आपको पता चल जायेगा आपका वोट आपके पसंद के उम्मीदवार को चला गया। अगर आपको कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है तो उसमे एक ( NOTA ) बटन दिखेगा उसको दबा कर अपना वोट दे सकते है।

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मतदान के बाद ईवीएम को सील कर सुरक्षित स्थान पर पहुचाया जाता है।

मतदान से पहले और मतदान के बाद प्रत्येक ईवीएम मशीन को कड़ी निगरानी में रखा जाता है। वोट डलने के बाद शाम को कई लोगों की मौजूदगी में मतदान अधिकारी इस मशीन को सील बंद करता है। हर ईवीएम मशीन को एक खास कागज से सील किया जाता है। ये । हर कागज़ के ऊपर एक खास नंबर होता है। कागजों से सील करने के बाद हर मशीन में स्थित छेद को धागे के मदद से बंद किया जाता है और उसके बाद उसे कागज और एक खास पीतल की सील लगा कर बंद किया जाता है।

किन किन देशों ने EVM का इस्तेमाल बंद कर रखा है। 

अब तक कुल मिलकर 31 देशों में EVM का इस्तेमाल किया जा चूका है। जिनमे सिर्फ 4 देश ऐसे है जहाँ राष्ट्रीय स्तर पर EVM इस्तेमाल होती है। 11 ऐसे देश है जहाँ कुछ हिस्से में इसका उपयोग होता है। ऐसे कई देश है जहाँ इसका उपयोग करने के बाद बंद करने का फैसला लिया जिसमे , कजाकिस्तान, फिनलैंड, जर्मनी, नॉर्वे, रोमानियां, में EVM का उपयोग बंद कर दी गयी।

और अंत में सबसे ज्यादा जो बात अभी सामने आ रही और सभी जानने की कोशिस करते है की ,

क्या EVM MACHINE को हैक किया जा सकता है ?

बीते कई सालो से चुनाव हरने वाली पार्टी EVM पर सवाल उठाती आ रही है। जबकि चुनाव आयोग का कहना है की EVM पूरी तरह सुरक्षित है।

चुनाव आयोग ने इसके जाँच के लिए एक कमिटी बनायीं थी। 2019 कमिटी ने रिपोर्ट दिया जिसमे कहा के एवं के साथ हैकिंग नहीं की सकती।  इसके पीछे उन्होंने 2 तर्क दिए थे।

1 – चुनाव आयोग स्टैंड अलोन EVM का इस्तेमाल करता है। इसे नहीं किसी कंप्यूटर से कनेक्ट किया जा सकता नहीं किसी अन्य नेटवर्क से इसी लिए इसे हैक किया जाना असंभव है। साथ ही ये भी बताया के EVM में इस्तेमाल होने वाला सॉफ्टवेयर रक्षा मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा मंत्रालय से जुड़ी सरकारी कंपनियों के इंजीनियर बनाते हैं. इस सॉफ्टवेयर के सोर्स कोड को किसी से भी शेयर नहीं किया जाता है

2 – भारत में जो EVM का इस्तेमाल होता है, उस  मशीन में दो यूनिट होती हैं. एक कंट्रोलिंग यूनिट (CU) और दूसरी बैलेटिंग यूनिट (BU). दोनों यूनिट अलग-अलग होती हैं और इन्हें चुनाव के दौरान अलग-अलग ही बांटा जाता है. अगर किसी भी एक यूनिट के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ हुई तो मशीन काम नहीं करेगी. इसलिए कमेटी का कहना था कि EVM से छेड़छाड़ करना या हैक करने की गुंजाइश न के बराबर है।

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Conclusion

तो दोस्तों आज हमने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के बारे में कुछ जरुरी जानकारी प्राप्त की जिसमे हमने evm से जुडी हर पहलु पर नज़र डाले बहुत कुछ समझ भी आया लेकिन अगर आपका भी कोई सवाल है तो हमें कमेंट में पूछ सकते ह।  आशा है सारा डॉउट क्लियर हो गया होगा। धयनयवाद।

EVM MACHINE  के बारे में सामान्य प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) क्या है?
उत्तर: ईवीएम एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जिसका उपयोग भारत में चुनावों के दौरान वोटिंग के लिए किया जाता है। यह मशीन मतदाताओं को बटन दबाकर अपने पसंदीदा उम्मीदवार को चुनने की सुविधा देती है, और वोट को सुरक्षित रूप से रिकॉर्ड करती है।

प्रश्न 2: ईवीएम के मुख्य भाग कौन-कौन से होते हैं?
उत्तर: ईवीएम में दो मुख्य भाग होते हैं:

  1. कंट्रोल यूनिट – यह चुनाव अधिकारी के पास होती है और वोटिंग प्रक्रिया को नियंत्रित करती है।
  2. बैलट यूनिट – यह मतदाता के पास होती है, जहां वह बटन दबाकर अपने उम्मीदवार को चुनता है।
प्रश्न 3: ईवीएम किस प्रकार काम करती है?

उत्तर: मतदाता बैलट यूनिट पर अपने पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के सामने स्थित बटन को दबाकर वोट डालता है। इस पर कंट्रोल यूनिट में वोट सुरक्षित हो जाता है और एक बीप की आवाज सुनाई देती है, जो वोट के सफलतापूर्वक दर्ज होने का संकेत देती है।

प्रश्न 4: क्या ईवीएम में धांधली की संभावना है?
उत्तर: चुनाव आयोग और विशेषज्ञों के अनुसार, ईवीएम में धांधली की संभावना लगभग असंभव है। यह मशीन कई स्तरों पर सुरक्षित होती है, और इसे हैक करना अत्यधिक कठिन है। इसके अतिरिक्त, VVPAT की प्रणाली का उपयोग भी किया जाता है, जो मतदाता को अपने वोट की पुष्टि करने का अवसर देती है।

प्रश्न 5: VVPAT क्या है और इसका उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर: VVPAT (वोटर वेरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल) एक प्रणाली है जो मतदाता को अपने वोट की पुष्टि करने का मौका देती है। जब मतदाता ईवीएम में वोट डालता है, तो VVPAT एक पेपर स्लिप प्रिंट करता है जिस पर मतदाता द्वारा चुने गए उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिह्न होता है। यह स्लिप कुछ सेकंड के लिए दिखाई देती है और फिर एक सुरक्षित बॉक्स में गिर जाती है।

प्रश्न 6: ईवीएम का उपयोग भारत में कब से किया जा रहा है?

उत्तर: ईवीएम का प्रयोग भारत में सबसे पहले 1990 के दशक में किया गया था। तब से यह धीरे-धीरे देश के विभिन्न चुनावों में अपनाया गया और अब यह राष्ट्रीय और राज्य स्तर के सभी चुनावों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 7: ईवीएम किससे बनाई जाती है और इसका निर्माण कौन करता है?
उत्तर: ईवीएम का निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) द्वारा किया जाता है। ये दोनों सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाँ हैं और भारत सरकार के अधीन कार्य करती हैं।

प्रश्न 8: अगर ईवीएम में कोई तकनीकी समस्या आती है तो क्या किया जाता है?
उत्तर: अगर ईवीएम में किसी प्रकार की तकनीकी समस्या आती है, तो चुनाव अधिकारी तुरंत इसे बदलने की प्रक्रिया शुरू करते हैं। चुनाव आयोग के पास पर्याप्त मात्रा में रिजर्व ईवीएम मशीनें होती हैं जो आपात स्थिति में उपयोग के लिए तैयार रहती हैं।

प्रश्न 9: क्या ईवीएम का उपयोग ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में भी किया जा सकता है?
उत्तर: हां, ईवीएम का उपयोग ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में भी किया जा सकता है, क्योंकि यह मशीन बैटरी द्वारा संचालित होती है और इसे बिजली की आवश्यकता नहीं होती।

प्रश्न 10: क्या ईवीएम पर्यावरण के अनुकूल है?
उत्तर: हां, ईवीएम पर्यावरण के अनुकूल है क्योंकि इसके उपयोग से कागज की बचत होती है, जो कि पारंपरिक बैलट पेपर में खर्च होता था। इससे पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान मिलता है।

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